मई का महीना था। नंदनवन गर्मी से झुलस रहा था। थोड़ी
राहत पाने की गरज से चिंपी बंदर आम के पेड़ पर जा बैठा। अभी कुछ ही मिनट बीते थे
कि उसकी आँख लग गई। तभी पेड़ के नीचे से फन वैली प्ले स्कूल की बस गुज़री। चिंपी
धप्प से बस की छत पर गिर पड़ा। नींद इतनी गहरी थी कि उसे अपने गिरने तक का पता
नहीं चला।
बस शहर से बाहर बने शोरूम से नई-नई तैयार होकर निकली
थी और नंदनवन के रास्ते शहर जा रही था। उसे बच्चों को स्कूल पहुंचाना था। स्वरा
सोसाइटी के बाहर लगे बेंच पर अपने पापा के साथ बैठी बस का इंतज़ार कर रही थी। जैसे
ही नई बस ने आकर हॉर्न बजाया, उसके पापा उसे गोद में लेकर बस में बैठाने चल दिए। स्वरा
को अपनी नई रंग-बिरंगी बस बड़ी पसंद आई। इस पर तो एक-दूसरे का हाथ थामे स्कूल
जाते छोटे-छोटे बच्चों का कितना सुंदर चित्र भी बना था। पहले नंबर पर बना गोल-मटोल
लड़का तो बिल्कुल उसके साथ पढ़ने वाले पूरब जैसा दिखता था। उसे हँसी आ गई। बस
रवाना हुई तो उसने पापा को हाथ हिलाकर बाय बोला। कुछ ही देर में सारे बच्चे फन
वैली पहुंच गए और बच्चों के साथ ही स्कूल पहुंच गया, बस की छत पर खर्राटे भरता चिंपी
बंदर।
जब चिंपी की आँख खुली तो स्कूल में योगा और म्यूज़िक
क्लास के बाद लंच ब्रेक होने वाला था। पहले तो चिंपी खुद को नई जगह पाकर घबरा
गया। फिर उसके पेट में चूहे कूदने लगे। वो चुपचाप बस से उतरकर कुछ खाने को खोजने
लगा पर यह कोई जंगल तो था नहीं, जो कहीं भी किसी फल का पेड़ मिल जाता। छिपता-छिपाता थोड़ा
आगे बढ़ा तो खाने की ज़ोरदार खुशबू उसके नथूनों में भर गई। यह बच्चों का डाइनिंग
हॉल था। शांति आंटी बच्चों के लिए गरमागरम पूड़ियां तलकर एक बड़े बर्तन में रखती
जा रही थीं और सोनिया मैडम बच्चों की प्लेट में खाना लगा रही थीं।
चिंपी ने चारों तरफ़ देखा और पूड़ी उठाने के इरादे
से कमरे की खिड़की से हाथ अंदर डाला पर ये क्या? स्वरा ने चिंपी का हाथ पकड़ लिया और चिल्लाई, ‘‘मैम! मैम! देखो कौन हमारा खाना चुरा रहा है?’’ चिंपी की तो जैसे सिट्टी-पिट्टी
ही गुम हो गई। सोनिया मैम भागी-भागी आईं और चिंपी को डांटते हुए पूछा कि वो स्कूल
में क्या कर रहा है? चिंपी
ने डरते-डरते सोनिया मैम को सारी बात बताई और बोला, ‘‘मुझे माफ़ कर दो मैम। बहुत ज़ोर से भूख लगी थी इसलिए खाना
चुरा रहा था।’’
सोनिया मैम बच्चों को बहुत प्यार करती थीं। फिर
चिंपी भी तो बच्चा ही था। उन्होंने शांति आंटी से चिंपी के लिए खाना लगाने को
कहा। चिंपी ने भरपेट खाना खाया। तब सोनिया मैम ने उसे और सब बच्चों को समझाया कि
चोरी करना बुरी बात होती है। अगर उसे खाना चाहिए था तो वो उनसे मांग सकता था।
चिंपी ने मैम से माफी मांगी और आगे से कभी चोरी न करने का वायदा किया। सोनिया मैम
ने चिंपी को प्यार किया और नई बस के ड्राइवर अंकल को कहा कि वे चिंपी को फिर से
नंदनवन छोड़ आएं। चिंपी ने सोनिया मैम और सभी बच्चों को पिकनिक पर नंदनवन आने का
न्यौता दिया और कूदकर बस की छत पर चढ़ गया।
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